हमारे सपनों में अनजान लोग क्यों आते हैं जिनसे हम कभी नहीं मिले होते?

 हमारे सपनों में लोग क्यों आते हैं जिनसे हम कभी नहीं मिले होते?

कभी आपने सोते समय ऐसे लोगों को सपने में देखा है जिनसे आप कभी मिले नहीं हैं? यह सवाल बहुत से लोगों के मन में आता है। सपने हमारी अवचेतन (subconscious) मन की अभिव्यक्ति होते हैं। सपने हमारे मस्तिष्क द्वारा दिनभर की जानकारी को प्रोसेस करने का एक तरीका हैं। हम अपने दिनभर के अनुभवों, भावनाओं और विचारों को सपनों के रूप में देखते हैं। लेकिन जब हमें सपने में कोई ऐसा व्यक्ति दिखे जिससे हम असल में कभी मिले नहीं होते, तब सवाल उठता है कि वह कौन है और वह हमारे सपनों में क्यों आया?


असल में, हमारे मस्तिष्क में बहुत सी यादें और छवियां स्टोर होती हैं जिन्हें हम जान-बूझकर नहीं देखते, लेकिन वे हमारे अवचेतन में होती हैं। ये छवियां हमें भीड़, सोशल मीडिया, टीवी, फिल्मों या फिर जीवन के किसी भी हिस्से से प्राप्त होती हैं। हमारा मस्तिष्क इन छवियों को इकट्ठा करता रहता है, भले ही हम उन्हें जानबूझकर न याद रखें। जब हम सोते हैं, हमारा मस्तिष्क दिनभर की जानकारी के साथ-साथ उन छवियों को भी प्रोसेस करता है जो हमारे अवचेतन में होती हैं। इसीलिए, हमें कभी-कभी ऐसे लोग सपनों में दिखते हैं जिनसे हम जीवन में कभी नहीं मिले होते।


इसके अलावा, कुछ शोध बताते हैं कि हमारा मस्तिष्क सपने में नए चेहरे भी बना सकता है। यानी, सपने में जो अजनबी दिखते हैं, वे हमारे दिमाग की कल्पना हो सकते हैं। यह प्रक्रिया हमारे मस्तिष्क की रचनात्मकता का हिस्सा है।


 नतीजा:

हमारे सपनों में आने वाले अजनबी लोग हमारे मस्तिष्क की अवचेतन स्मृतियों का हिस्सा होते हैं, जो हमें जीवन के किसी मोड़ पर दिखाई दिए होंगे। सपने एक जटिल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है, और यह समझना हमेशा आसान नहीं होता कि सपनों में कौन और क्यों आता है।

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